आपके जीवन को सुंदरता और खुशियों से भर दे !!
पर याद रहे “माँ” शब्द ना चढ़े किसी भी गाली
हर युग में मुनि ज्ञानी देते सबको यह उपदेश,
शंकर जी ने उन्हें यज्ञ में ना जाने के लिए बहुत प्रकार से समझाया मगर सती पिता का यज्ञ देखने और वहाँ जाकर अपनी माता और बहनों से मिलने की इच्छा कम न हो सकी । सती की प्रबल इच्छा को देखते हुए भगवान शंकर जी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी।
नवरात्रि के इस महत्वपूर्ण पावन पर्व पर !!
माँ के चरणों में है सुख और शांति की बरसात,
जिसने सच्चे मन से.. जय माता की बोल दिया…
नन्हें-नन्हें कदमों से माँ आये आपके द्वार। नवरात्रि की शुभ कामनाएं
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
कुम कुम भरे कदमों से आये माँ दुर्गा आपके द्वार,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।
नवरात्रि के पावन दिनों में मां अम्बा के !!
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।